आज कश्मीर फिर से लाल हो गया...
आज कश्मीर फिर से लाल हो गया
कश्मीर की वादियों में खिलते हुए फूलों,
गुंजायमान घाटियों के बीच ये कैसा प्रहार हो गया,
कि सुंदरता का प्रमाण ये हमारा कश्मीर फिर से लाल हो गया...।
जहाँ से सारा जहान स्वर्ग नज़र आता है,
जहाँ एक सूखा पत्ता भी खूबसूरत माना जाता है,
उसके जिस्म पर बिछी बर्फ की सफेद चादर पर ये कैसा दाग हो गया ...
आज वो जन्नत कहा जाने वाला कश्मीर फिर से लाल हो गया..।
जिसकी डल झील में झलकती है कश्मीरियों की मासूमियत,
जिसके शिकारों में दुनिया का सुकून समा जाता है,
उस झिलमिलाती हुई मंजुल नगरी में ये कैसा अज्ञात आघात हो गया,
आज हमारे राजसी हिमालय का मनमोहक कश्मीर फिर से लाल हो गया..
भारत माँ का मुकुट बन हमेशा सजता है जो,
माँ की आंखों का तारा सा चमकता है जो,
आज उस अंश पर ये कैसा विघात हो गया ,
आज माँ का वो आंचल कश्मीर फिर से लाल हो गया..
प्रतीक है जो नई शुरुआत का....
किस्सा किसी नए जोड़े के उल्लास का,
जो ख्वाब है हर प्रेम के उत्साह का..
आज वो इतिहास विनाश हो गया ..और कश्मीर फिर से लाल हो गया..
क्योंकि हम में से कोई हिंदू है या मुसलमान ...
पर भूल गए कि हिन्दी हैं हम...
और सिर्फ़ इस बात पर हमारा हिन्दुस्तान लहुलुहान हो गया..
एक नई दुल्हन का अनछुआ शृंगार विरान हो गया,
एक हस्ता हुआ अजनबी अनजाने में शहीद हो गया...
आज तेरा मेरा नहीं हमारा कश्मीर फिर से लाल हो गया...
इस जिहाद की ज़िद से ,
फिरन और साड़ी में, शिकारे और नाव में , तहज़ीब और संस्कार में ,
मन्दिर और मस्जिद में,
ये कैसा अविश्वसनीय तांडव विकराल हो गया....
आज ये शबनम से गुलजार, जिसकी गोद में था बेपनाह प्यार, जिसकी पहाड़ियां पहने हुए हैं चिनार का लिबास,
ये पहलगाम आज पुलवामा हो गया...
झीलों की तरह भरी मासूम आंखों ने देखा,
कि आज वही कश्मीर फिर से लाल हो गया...!!
(भावपूर्ण श्रद्धांजलि #PahalgamAttack)
-श्वेता खरे
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