वो अनकही सी बात


वो अनकही सी बात.....



 
चाय की एक टपरी के नीचे,
दोनों बैठे थे कशमकश में डूबे,
कहीं खत्म न हो जाये ये छोटी सी रात, 
और फिर से ना रह जाए वो अनकही सी बात।
 
बारिश की बूँदों में दबी हुई,

हवाओं की सरसराहट से सजी हुई,

पर आसमान के अंधेरों मेँ खोए हुए थे ज़ज्बात,

ना जाने कब होंठो पर आएगी वो अनकही सी बात |


वो चुप चाप उसे देखता रहा,

वो कहती गई और वो सुनता गया,

सूने से स्वर और काले बादलो के साथ,

कुछ अधूरी सी लगी वो अनकही सी बात।


कहना बहुत कुछ था मगर,

जैसे कश्ती ढूंढ रही हो अपनी डगर,

उलझे हुए थे हर पल और हालात,

कहते कहते रुक गयी वो अनकही सी बात।


हल्की सी मुस्कराहट और थोड़ी सी दूरियाँ,

चाय की चुस्कियां और उसकी खनकती चूडियां,

उसकी मासूमियत कुछ नयी सी लगी इस बार,

पर फिर भी तन्हा सी लगी वो अनकही सी बात।


कभी कभी कुछ ना कहना भी एक सुकून देता है,

क्योंकि कुछ बातों को ना कहना भी जरूरी होता है,

दोनों ने समझ लिया था और कर लिया था ये छोटा सा हिसाब,

चल दिये वो अपनी अपनी राह,

और हमेशा के लिए अधूरी रह गई,

सूनी रह गई अनजानी, अनसुलझी, अनसुनी सी वो बात।


-श्वेता

Comments

  1. Beautiful lines 👌👌👌👌👌

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  2. ATI sundar line 👌💕💕💕💕💕

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  3. Nirupama Srivastava
    ATI sundar line 👌💕💕💕

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  4. ATI sundar line 👌💕💕💕

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  5. superb lines with reflection of emotions..

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  6. Bahot khoob 🥰उत्कृष्ट रचना👌

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बहुत खूब ma'am...इस मखमली अंदाज में ना जाने कितने ज़ज्बात अनकहे रह गए....पर ना जाने कितने एहसास फ़िज़ाओं में तैर गए......सरगम की तरह

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  9. Ise padh kar aisa laga jaise mere khayalon ko naye shabd mil gaye ho..

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  10. Good one . .... Meri bhi rah gayi kafi ankahi si baate.......

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